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2026 तक साफ होगी NCR की हवा: सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार की विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट, तीन जोन में बांटा जाएगा


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– फोटो : एएनआई

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दिल्ली और एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) क्षेत्र के लोगों को आगामी 4 साल में दम घोटू प्रदूषण से राहत मिलने के आसार हैं। एनसीआर क्षेत्र में वायु को साफ व स्वच्छ बनाने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने वर्ष 2026 का लक्ष्य तय किया गया है। इस संबंध में 9 सदस्यीय विशेषज्ञों की समिति द्वारा छह माह तक अध्ययन के बाद वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को विस्तृत रिपोर्ट सौंपी है। आयोग ने इसे मंजूर करते हुए सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट पेश कर पर इस पर काम भी शुरू कर दिया है।

कमेटी ने प्रदूषण कम करने के लिए जहां कुछ अहम सुझाव दिए हैं, वहीं उद्योगों पर सख्ती बरतने के लिए भी कहा है। दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रदूषण के स्थायी समाधान को लेकर छह माह पहले वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की ओर से देशभर से विशेषज्ञों को शामिल कर एक कमेटी गठित की गई थी। कमेटी की कमान हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन पी राघवेंद्र राव को सौंपी गई थी। कई बैठकें, सेमिनार और दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा से आए 118 सुझावों के आधार पर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आगामी चार साल तक चरणबद्ध तरीके से प्रदूषण स्तर को कम किया जा सकता है। इसके लिए कमेटी ने चीन के शंघाई शहर का उदाहरण भी दिया है।

यह भी पढ़ें : जगरांव रेलवे स्टेशन पर हंगामा: प्वाइंट मैन ने अधिकारियों के साथ किया गालीगलौच, मारे धक्के, वीडियो वायरल

आईआईटी और आईआईटीएम के प्रोफेसर भी रहे शामिल

विशेषज्ञों की कमेटी में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के सदस्य अरविंद नौटियाल, डा. एनपी शुक्ला, आईआईटी कानपुर से सिविल इंजीनियर प्रोफेसर मुकेश शर्मा, आईआईटीएम से डा. सचिव डी गुडे, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से डा. प्रशांत, मौलाना आजाद मेडिकल कालेज से इनवायरमेंटल हैल्थ के डा. टीके जोशी, ऊर्जा, पर्यावरण और पानी काउंसिल से एलएस कुरुंजी और  केंद्रीय विज्ञान और पर्यावरण विभाग कार्यकारी निदेशक अनुमिता राय चौधरी शामिल रहे। 

एनसीआर को तीन जोन में बांटा, सभी के लिए अलग प्लान

कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में एनसीआर को एक क्षेत्र मानने की बजाए तीन जोन में बांटा है। कमेटी ने कहा कि दिल्ली और उसके साथ लगते जिले एक क्षेत्र में शामिल होंगे, इसके बाद उनसे आगे वाले जिलों और बाद में अंतिम जिलों को अलग अलग क्षेत्र माना है। हर वर्ग के जिलों के लिए अलग अलग टाइमलाइन तय होंगी। इसी योजना के आधार पर तीनों जोनों के लिए अलग अलग कार्ययोजना होगा, उसी आधार पर जमीनी स्तर पर काम होगा।

ये दिए गए हैं सुझाव

-थर्मल प्लांटों में कोयले का साथ 5 प्रतिशत पराली का प्रयोग करना होगा
-उद्योगों को कोयले और डीजल की बजाए पीएनजी-सीएनजी पर लाना होगा
-पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देना होगा, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देें
-साइकिलिंग ट्रैक बनाए जाएं, शेयर वाहनों की संख्या बढ़ानी होगी
-पराली प्रबंधन के लिए किसानों को आय के विकल्प देने होंगे
-निर्माण, धूल से निपटने को पुख्ता प्रबंध हों, सफाई मशीनों से की जाए
-अधिक पौधे लगाने होंगे, जागरूकता और सहभागिता जरूरी
 

विस्तार

दिल्ली और एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) क्षेत्र के लोगों को आगामी 4 साल में दम घोटू प्रदूषण से राहत मिलने के आसार हैं। एनसीआर क्षेत्र में वायु को साफ व स्वच्छ बनाने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने वर्ष 2026 का लक्ष्य तय किया गया है। इस संबंध में 9 सदस्यीय विशेषज्ञों की समिति द्वारा छह माह तक अध्ययन के बाद वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को विस्तृत रिपोर्ट सौंपी है। आयोग ने इसे मंजूर करते हुए सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट पेश कर पर इस पर काम भी शुरू कर दिया है।

कमेटी ने प्रदूषण कम करने के लिए जहां कुछ अहम सुझाव दिए हैं, वहीं उद्योगों पर सख्ती बरतने के लिए भी कहा है। दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रदूषण के स्थायी समाधान को लेकर छह माह पहले वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की ओर से देशभर से विशेषज्ञों को शामिल कर एक कमेटी गठित की गई थी। कमेटी की कमान हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन पी राघवेंद्र राव को सौंपी गई थी। कई बैठकें, सेमिनार और दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा से आए 118 सुझावों के आधार पर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आगामी चार साल तक चरणबद्ध तरीके से प्रदूषण स्तर को कम किया जा सकता है। इसके लिए कमेटी ने चीन के शंघाई शहर का उदाहरण भी दिया है।

यह भी पढ़ें : जगरांव रेलवे स्टेशन पर हंगामा: प्वाइंट मैन ने अधिकारियों के साथ किया गालीगलौच, मारे धक्के, वीडियो वायरल

आईआईटी और आईआईटीएम के प्रोफेसर भी रहे शामिल

विशेषज्ञों की कमेटी में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के सदस्य अरविंद नौटियाल, डा. एनपी शुक्ला, आईआईटी कानपुर से सिविल इंजीनियर प्रोफेसर मुकेश शर्मा, आईआईटीएम से डा. सचिव डी गुडे, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से डा. प्रशांत, मौलाना आजाद मेडिकल कालेज से इनवायरमेंटल हैल्थ के डा. टीके जोशी, ऊर्जा, पर्यावरण और पानी काउंसिल से एलएस कुरुंजी और  केंद्रीय विज्ञान और पर्यावरण विभाग कार्यकारी निदेशक अनुमिता राय चौधरी शामिल रहे। 

एनसीआर को तीन जोन में बांटा, सभी के लिए अलग प्लान

कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में एनसीआर को एक क्षेत्र मानने की बजाए तीन जोन में बांटा है। कमेटी ने कहा कि दिल्ली और उसके साथ लगते जिले एक क्षेत्र में शामिल होंगे, इसके बाद उनसे आगे वाले जिलों और बाद में अंतिम जिलों को अलग अलग क्षेत्र माना है। हर वर्ग के जिलों के लिए अलग अलग टाइमलाइन तय होंगी। इसी योजना के आधार पर तीनों जोनों के लिए अलग अलग कार्ययोजना होगा, उसी आधार पर जमीनी स्तर पर काम होगा।

ये दिए गए हैं सुझाव

-थर्मल प्लांटों में कोयले का साथ 5 प्रतिशत पराली का प्रयोग करना होगा

-उद्योगों को कोयले और डीजल की बजाए पीएनजी-सीएनजी पर लाना होगा

-पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देना होगा, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देें

-साइकिलिंग ट्रैक बनाए जाएं, शेयर वाहनों की संख्या बढ़ानी होगी

-पराली प्रबंधन के लिए किसानों को आय के विकल्प देने होंगे

-निर्माण, धूल से निपटने को पुख्ता प्रबंध हों, सफाई मशीनों से की जाए

-अधिक पौधे लगाने होंगे, जागरूकता और सहभागिता जरूरी

 

समिति ने तमाम पहलूओं को देखते हुए 2026 तक का एनसीआर को स्वच्छ बनाने का लक्ष्य रखा है। ऐसा संभव है, चीन के शहर शंघाई भी ऐसा कर चुका है। आयोग ने इस रिपोर्ट को मंजूर करते हुए इस पर काम शुरू कर दिया है। हरियाणा को लेकर 30 सितंबर को मुख्य सचिव के साथ बैठक होगी। उसमें तमाम पहलूओं और रिपोर्ट को लागू कराने को लेकर मंथन किया जाएगा। सख्ती, सुझाव और जनसहभागिता से ही प्रदूषण कम हो सकता है। -पी राघवेंद्र राव, चेयरमैन, विशेषज्ञ समिति।


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