पानीपत में शारदीय नवरात्रे का पहला दिन: प्राचीन श्री देवी मंदिर में जुटी श्रद्धालुओं की भीड़; बैंगलौर-कोलकाता के फूलों से सजा मंदिर

पानीपत39 मिनट पहले
देवी मंदिर में मां की मूर्ति को सजाया गया।
सोमवार को शारदीय नवरात्रे शुरू हो गए है। पहले दिन देवी मां के पहले स्वरूप शैल पुत्री की पूजा की गई। शारदीय नवरात्रि का आज पहला दिन है। इस दिन से नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ शक्ति रूपों की पूजा की जाएगी।
सोमवार को मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। नवरात्र के पहले दिन देवी के नाम से कलश की स्थापना की जाती है। नौ दिन तक भक्त दुर्गा जी के अलग-अलग रूपों की पूजा करते हैं। नवरात्र के पहले दिन पानीपत के प्राचीन देवी मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु लोग पूजा-अर्चना करने पहुंचे हैं।
आज सुबह 4 बजे मंदिर के कपाट खोल दिए गए। पूजा अर्चना के बाद पांच बजे से मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटना शुरू हो गई। प्राचीन देवी मंदिर को इस बार बंगलौर और कोलकाता से मंगवाए गए फूलों से सजाया जा रहा है।
मां के भवन के सामने श्रद्धालुओं के हाथों पर कलावा बांधते पंडित।
ये की गई है व्यवस्था
मंदिर के गेट से गर्भगृह की 100 मीटर की दूरी है। लेकिन भीड़ को व्यवस्थित करने के लिए 14 रेलिंग से जिग-जैक बनाया गया है। यानी यह दूरी करीब 350 मीटर कर दी गई है। मां के भवन के सामने खुली जगह को ऊपर से कपड़े से डिजाइन देकर सजाया गया है। इसमें करीब 2800 मीटर कपड़ा तीन रंग में लगाया गया है। इस कपड़े को दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जाएगा, यह दान कर दिया जाएगा।
तीन वक्त होगी मां की आरती
आचार्य लालमणि पांडे ने बताया कि भगवती दुर्गा का पहला स्वरूप शैल पुत्री का है। हिमालय के यहां जन्म लेने से उन्हें शैल पुत्री कहा गया। इनका वाहन वृषभ है। उनके दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल है। इन्हें पार्वती का स्वरूप भी माना गया है।
ऐसी मान्यता है कि देवी के इस रूप ने ही शिव की कठोर तपस्या की थी। इनके दर्शन मात्र से सभी वैवाहिक कष्ट दूर हो जाते हैं। वहीं, उन्होंने बताया कि नवरात्रों में देवी मंदिर सुबह 4 बजे खुलेगा। 5 बजे पहली आरती होगी। फिर शाम 6 बजे और रात साढ़े 9 बजे आरती होगी।
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